बहती हवा सी मैं ,
पेड़ बनकर तुमने ,मुझे खुद में समा लिया
चंचल नदिया की तरह मैं ,
समन्दर बनकर तुमने, मुझे सहारा दे दिया ।
जिद्दी तूफान सी मैं,
साहिल बनकर तुमने, मुझे हमेशा थाम लिया ।
नटखट परिन्दे सी मैं,
आसमान बनकर तुमने मुझे अपना बना लिया ।
नटखट तितली सी मैं,
फूल बनकर तुमने, मेरी शरारतों को गले लगा लिया ।
बंजर रेत सी मैं,
पानी बनकर तुमने, मेरी रूह को बचा लिया ।
धूप में चलती,
मुसाफिर सी मैं ,पेड़ बनकर तुमने छाँव से अपनी सुकून मुझे दिला दिया ।
दहकती आग सी मैं,
अपने प्यार से, तुमने मुझे शीतल बना दिया ।.बहती हवा सी मैं ,
पेड़ बनकर तुमने ,मुझे खुद में समा लिया
चंचल नदिया की तरह मैं ,
समन्दर बनकर तुमने, मुझे सहारा दे दिया ।
जिद्दी तूफान सी मैं,
साहिल बनकर तुमने, मुझे हमेशा थाम लिया ।
नटखट परिन्दे सी मैं,
आसमान बनकर तुमने मुझे अपना बना लिया ।
नटखट तितली सी मैं,
फूल बनकर तुमने, मेरी शरारतों को गले लगा लिया ।
बंजर रेत सी मैं,
पानी बनकर तुमने, मेरी रूह को बचा लिया ।
धूप में चलती,
मुसाफिर सी मैं ,पेड़ बनकर तुमने छाँव से अपनी सुकून मुझे दिला दिया ।
दहकती आग सी मैं,
अपने प्यार से, तुमने मुझे शीतल बना दिया ।.
Author
Sheetal Anil Nilangekar